नवभारत सरायपाली. अपने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं के हड़ताल में चले जाने से ब्लॉक के सभी आंगनबाड़ी केन्द्र बंद रहे. विभिन्न मांगों को लेकर उनका एक दिवसीय आंदोलन रायपुर में 17 जनवरी को था. जिसके चलते आंगनबाड़ी केन्द्रों में ताला लटक ा रहा. कई जगहों में छोटे बच्चों को सूचना नही मिलने पर वे आंगनबाड़ी केन्द्रों में मंडराते रहे. ब्लॉक में कुल 320 आंगनबाड़ी केन्द्र हैं, सभी कार्यकर्ता अपनी मांगों को लेकर आंदोलन में उतरे हैं. आंगनबाड़ी केन्द्रों में मिलने वाला मध्यान्ह भोजन भी छोटे बच्चों को नसीब नही हुआ. कार्यर्क्ताओं के साथ सहायिका भी हड़ताल में शामिल हुए .
प्रमुख मांगों में शासकीय कर्मचारी घोषित कर कार्यकर्ताओं को न्यूनतम 1800 हजार रूपये एवं सहायिकाओं को 15000 रूपये वेतन दिए जाए. सेवानिवृत होने पर गुजर बसर के लिए कार्यकर्ताओं को 3 लाख तथा सहायिकाओं को 2 लाख रूपये प्रदान किए जाऐं. ड्रेस कोर्ट की बाध्यता समाप्त की जाए. सहायिका को कार्यकर्ता बनाने के लिए सीधे पदोन्नति प्रकिया शुरू की जाए. कार्यकर्ताओं को स्वीपर बनाते समय उम्र की समय सीमा हटाई जाए तथा सीधे पदोन्नती दी जाए. मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र को पूर्ण आंगनबाड़ी केन्द्र में तब्दिल की जाए तथा जिस केन्द्र में 10 बच्चों से कम उपस्थिति उसे बंद नही किया जाए. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ के ब्लॉक अध्यक्ष ज्योत्सना नंद ने दूरभाष से पूछे जाने पर बताया कि सरायपाली के सभी कार्यकर्ता हड़ताल में शामिल हुए हैं.
हालांकि महिला बाल विकास विभाग ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के हड़ताल में होने से इंकार किया है. यहां से कुल 317 पदस्थ कार्यकर्ताओं में 274 हड़ताल में शामिल हुए. वहीं कुल सहायिका 298 में से 274 शामिल होने की जानकारी मिली है. यह भी जानकारी है
की हड़ताल के वावजूद भी 320 आंगनबाड़ी केन्द्र में से 31 आंगनबाड़ी केन्द्र खुले होने की जानकारी विभागीय तौर पर मिली है. सरायपाली के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों में 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के 7 हजार 500 बच्चे हैं, वहीं गर्भवती माताऐं 1650 हैं.
इस संबंध में परियोजना अधिकारी डीआर नारंग से पूछे जाने पर बताया कि 15 जनवरी सभी कार्यकर्ताओं को चाबी छोड़ने के निर्देश दिए थे ताकि हड़ताल में जाने के बाद भी गर्म भोजन दिया जा सके. लेकिन चाबी नही देने की वजह से अधिकांश जगह बंद पाये गए.