0- शासन को सवा 23 लाख रूपए की हुई बचत
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नवभारत सरायपाली. लंबर धान उपार्जन केंद्र में 15 जनवरी के लिए शनिवार को काटे गए 2200 पैकेट धान का टोकन को मंगलवार को पुन: निरस्त कर दिया गया. इस प्रकार दो दिनों में कुल 3143 पैकेट धान के टोकन को निरस्त किया जा चुका है. कुछ किसान या कोचिये किस्म के लोग बाहर का धान खपाने एवं बोनस कमाने के लालच में अधिक धान का टोकन कटवा लेते हैं जबकि उनके पास सोसायटी में देने के लिए उतना धान ही नहीं होता. लम्बर उपार्जन केंद्र में इस प्रकार कुछ किसानों द्वारा धांधली किए जाने की शिकायत मिली थी, जिस पर नवभारत में भी प्रमुखता से समाचार का प्रकाशन किया गया था. समाचार के पश्चात हल्का पटवारी के द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन किया गया था, इसके पश्चात पुन: शाखा प्रबंधक अमृतलाल जगत, पर्यवेक्षक जे डी पटेल, समिति प्रबंधक तुलाराम चौहान के द्वारा जांच की गई. जांच के दौरान कई किसानों के पास टोकन के हिसाब से धान नहीं पाया गया. ग्राम कुसमुर के 4 किसान, कर्मापाली के 7 किसान, सगुनडीह के एक किसान एवं डोरीकोना के 2 किसानों से लगभग 2200 पैकेट धान के टोकन को निरस्त किया गया. जिसका मूल्य 13लाख 64 हजार एवं बोनस 2 लाख 64 हजार होता है. जानकारी मुताबिक सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित होने के बावजूद धान के बम्पर आवक के कारण पूर्व से ही संदेहास्पद प्रतीत हो रहा था. यदि समय रहते इस प्रकार की कार्यवाही पहले ही हो जाती तो शासन को और भी लाखों रूपए का नुकसान होने से बचाया जा सकता था.
सूखाग्रस्त घोषित होने के बावजूद बम्पर खरीदी
लम्बर धान उपार्जन केन्द्र में कुल 58 हजार 859 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है, जबकि सूखाग्रस्त घोषित क्षेत्र होने के कारण अधिकतम 40 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हो सकती थी. उपरोक्त दो दिन की कार्यवाही में शासन को 19 लाख 48 हजार 660 रू धान का मूल्य एवं 3लाख 77 हजार 160 रू बोनस की बचत हुई है.
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नवभारत सरायपाली. लंबर धान उपार्जन केंद्र में 15 जनवरी के लिए शनिवार को काटे गए 2200 पैकेट धान का टोकन को मंगलवार को पुन: निरस्त कर दिया गया. इस प्रकार दो दिनों में कुल 3143 पैकेट धान के टोकन को निरस्त किया जा चुका है. कुछ किसान या कोचिये किस्म के लोग बाहर का धान खपाने एवं बोनस कमाने के लालच में अधिक धान का टोकन कटवा लेते हैं जबकि उनके पास सोसायटी में देने के लिए उतना धान ही नहीं होता. लम्बर उपार्जन केंद्र में इस प्रकार कुछ किसानों द्वारा धांधली किए जाने की शिकायत मिली थी, जिस पर नवभारत में भी प्रमुखता से समाचार का प्रकाशन किया गया था. समाचार के पश्चात हल्का पटवारी के द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन किया गया था, इसके पश्चात पुन: शाखा प्रबंधक अमृतलाल जगत, पर्यवेक्षक जे डी पटेल, समिति प्रबंधक तुलाराम चौहान के द्वारा जांच की गई. जांच के दौरान कई किसानों के पास टोकन के हिसाब से धान नहीं पाया गया. ग्राम कुसमुर के 4 किसान, कर्मापाली के 7 किसान, सगुनडीह के एक किसान एवं डोरीकोना के 2 किसानों से लगभग 2200 पैकेट धान के टोकन को निरस्त किया गया. जिसका मूल्य 13लाख 64 हजार एवं बोनस 2 लाख 64 हजार होता है. जानकारी मुताबिक सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित होने के बावजूद धान के बम्पर आवक के कारण पूर्व से ही संदेहास्पद प्रतीत हो रहा था. यदि समय रहते इस प्रकार की कार्यवाही पहले ही हो जाती तो शासन को और भी लाखों रूपए का नुकसान होने से बचाया जा सकता था.
सूखाग्रस्त घोषित होने के बावजूद बम्पर खरीदी
लम्बर धान उपार्जन केन्द्र में कुल 58 हजार 859 क्विंटल धान की खरीदी हो चुकी है, जबकि सूखाग्रस्त घोषित क्षेत्र होने के कारण अधिकतम 40 हजार क्ंिवटल धान की खरीदी हो सकती थी. उपरोक्त दो दिन की कार्यवाही में शासन को 19 लाख 48 हजार 660 रू धान का मूल्य एवं 3लाख 77 हजार 160 रू बोनस की बचत हुई है.