शिक्षाकर्मियों के संविलियन को लेकर चर्चा जोरों पर
नवभारत सरायपाली. मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों को संविलियन करने की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ में भी शिक्षाकर्मियों की आस बढ़ने लगी है. यहां के हजारों शिक्षाकर्मियों में इस बात को लेकर चर्चा-परिचर्चा का दौर जारी है. इस घोषणा को लेकर इसलिए भी उत्साहित है क्योंकि छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षाकर्मियों को पंचायत विभाग के अधीन होने का हवाला देते हुए संविलियन नहीं करने की जो असमर्थता जताई थी उस पर भी संशय के बादल छंटने लगे हैं. विगत नवम्बर महीने में शुरू हुए 15 दिन हड़ताल को नाटकीय ढंग से समाप्त करने के बाद अब शिक्षाकर्मी संविलियन करने की मांग को लेकर नए सिए से लामबंद होने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि स्थानीय नेताओं की माने तो अब इसके लिए हड़ताल का विकल्प न होकर दूसरे विकल्पों पर शासन स्तर तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास जोर पकड़ने की उम्मीद की जा रही है.
पूरे जिले में सबसे अधिक कर्मचारी शिक्षाकर्मियों की होने की वजह से इन पर कुछ भी होने वाला फैसले का प्रभाव जनचर्चा का विषय भी बनता है. हर गांव में लगभग औसतन देखा जाए तो इनकी संख्या आधा दर्जन तक पहुंच जाएगी. इसे देखते हुए शिक्षाकर्मियों के आंदोलन से लेकर शासन द्वारा इनके विरूद्ध उठाए जाने वाले कदम या फिर शासन द्वारा इनकी मांगो का समर्थन किए जाने का चर्चा हर समय बनता है. मध्यप्रदेश सरकार द्वारा शिक्षाकर्मियों को संविलियन की घोषणा कर देने से यहां के शिक्षाकर्मी इस बात को लेकर आश्वस्त हो गए हैं कि शिक्षाकर्मियों का संविलियन मांग जायज है. जानकारी मुताबिक शिक्षाकर्मियों की कई पेचीदा मांगे हैं, जिस पर शासन सालों बाद भी किसी तरह का निराकरण नहीं कर रही है. इनमें सबसे अधिक 10 साल सेवा अवधि पूर्ण करने वाले लाखों शिक्षाकर्मी ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक न क्रमोन्नत वेतनमान दिया जा रहा है और न ही उन्हें पदोन्नति का लाभ मिल रहा है. इसके चलते भी शिक्षाकर्मियों के सामने केवल एकमात्र विकल्प संविलियन ही नजर आ रहा है.
शिक्षाकर्मी संघ के ब्लॉकअध्यक्ष रूपानंद पटेल से पूछे जाने पर कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने जो निर्णय लिया है उसका हम स्वागत करते हैं, तथा उसी से ही अब छत्तीसगढ़ की सरकार को रास्ता खोजनी चाहिए और हमारी मांगो को जल्द ही गंभीरता पूर्वक लेते हुए संविलियन की घोषणा करनी चाहिए. उन्होने कहा शिक्षाकर्मियों की संविलियन मांग अब पूरी तरह जायज है, इसे शीघ्र ही छत्तीसगढ़ सरकार को गंभीरता से लेकर पूरा करना चाहिए.