शासकीय प्राथमिक शाला कलेण्डा(सिं) का मामला
सरायपाली. गांव के विकास कार्य के लिए प्रतिनिधि अधिकारियों का चक्कर लगाते हैं, तब कहीं जाकर कार्य स्वीकृत होता है. लेकिन कार्य स्वीकृत होने के बाद भी निर्माण कार्य करने में दिलचस्पी न दिखाने का मामला बहुत कम देखने को मिलता है. ऐसा ही एक मामला ब्लॉक अंतर्गत ग्राम कलेण्डा(सिंघोड़ा) के शासकीय प्राथमिक शाला में देखने को मिला, जहां विगत 2015-16 में अतिरिक्त भवन के लिए 4 लाख 54 हजार की स्वीकृति हुई है. विगत 2 वर्ष में ये भवन मात्र 6 फीट (चौखट लेवल) तक ही पहुंच पाया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गांव में विकास को किस तरह से अंजाम दिया जा रहा है. वहां प्राथमिक शाला के बच्चों को बैठने के लिए भी पर्याप्त कक्ष नहीं है, जिससे उनको बरसात के दिनों में, परीक्षा के दिनों में एवं स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं अन्य कार्यक्रम करने में जगह की कमी होती है. जब अतिरिक्त कक्ष का निर्माण शुरू हुआ तो सभी शिक्षकों एवं बच्चों में खुशियां दे खी जा रही थी, लेकिन विगत 2 वर्षों से मात्र आधा अधूरा ही भवन बनने से उनमें भी मायूसी छाई हुई है.
स्कूल में पानी की भी है समस्या
इस स्कूल में एक ही समस्या नहीं है बल्कि अन्य कई तरह की समस्याओं से भी वहां के बच्चे जूझ रहे हैं. एक तरफ जहां हेण्डपंप से पानी नहीं के बराबर निकल रहा है, तो वहीं दूसरी ओर स्कूल परिसर में स्थित शौचालय भी पूरी तरह से अनुपयोगी हो गया है. हेण्डपंप में पर्याप्त पानी नहीं निकलने से रसोईयों को लगभग आधा किमी दूर से पानी लाकर मध्यान्ह भोजन बनाना पड़ता है. वहीं कुछ स्कूली बच्चे घर से पानी का बॉटल लेकर स्कूल पहुंचते हैं. वहां के शिक्षकों ने चर्चा में बताया कि पानी की समस्या के लिए वे शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन समाधान नहीं हो रहा है. स्कूल परिसर में ही आंगनबाड़ी भवन भी संचालित है. जहां छोटे-छोटे बच्चे भी हर रोज आंगनबाड़ी पढ़ने के लिए पहुंचते हैं. वहां पानी की समस्या अभी से ही है तो गर्मी के दिनों में किस तरह की समस्याओं से गुजरना पडेÞगा इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
इस संबंध में ग्राम पंचायत सरपंच प्रतिनिधि कलेण्डा से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शौचालय का कार्य किया जा रहा था, इसी कारण भवन निर्माण कार्य को बंद कर दिए थे. जब उनसे गांव ओडीएफ कब घोषित होने की बात पूछी गई तो उन्होंने अगस्त में होने की बात कही. ओडीएफ घोषित होने के 4 माह बाद भी निर्माण कार्य पुन: शुरू नहीं करने की बात पर वे गोल-मोल जवाब देने लगे. इस संबंध में जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी से भी संपर्क किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.