0-वर्ष में एक लाख पौधे होते थे तैयार, अब हो गया है जर्जर-0
सरायपाली. शहर के झिलमिला सेंटपारा में स्थित एकमात्र नर्सरी रोपणी बजट के अभाव में विगत 9 वर्षों से बंद पड़ा है. कभी वर्ष में प्लांटेशन हेतु एक लाख पौधे तैयार करने की क्षमता रखने वाला रोपणी आज जर्जर एवं वीरान पड़ा हुआ है. यहां निर्मित भवन भी जर्जर हो चुके हैं तथा अधिकांश कर्मचारियों को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया है. किसी समय में छोटे स्कूली बच्चों के लिए एक पिकनिक स्थल माना जाने वाला यह रोपणी अब अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है.
नगर के वार्ड क्रमांक 8 में सन् 1982-83 में लगभग एक हेक्टेयर भूमि पर नर्सरी रोपणी का निर्माण किया गया था. यहां से प्रति वर्ष 1 लाख पौधे प्लांटेशन हेतु तैयार किये जाते थे. कई वर्षों तक यह रोपणी क्षेत्रवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ था. यहां बांस, नीलगिरी, खम्हार आदि कई फूलदार व फलदार पौधे तैयार किए जाते थे. कई स्कूली बच्चों को यहां पिकनिक के तौर पर एवं शैक्षणिक भ्रमण के उद्देश्य से भी लिया जाता था जहां उन्हें पौधों से संबंधित विभिन्न जानकारियां दी जाती है. लेकिन वर्तमान समय में यह रोपणी पूरी तरह से जर्जर हो गया है. यहां के 4 में से 2 भवन खण्डहर की तरह हो गए हैं वहीं अन्य दो भवन को किसी तरह सुरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है. जबकि इसकी भी मरम्मत वर्षाें से नहीं हुई है. एक चौकीदार सहित 3 कर्मचारी अभी देख-रेख के लिए वहां पदस्थ हैं तथा अन्य दो कर्मचारियों को अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया है. सन् 2008 से रोपणी के लिए बजट मिलना बंद हो गया. सीमित संसाधनों के साथ कुछ वर्षों तक जैसे-तैसे रोपणी की देखभाल करते रहे लेकिन विगत 3-4 वर्षों से अन्य कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो गई, जिससे रोपणी का कार्य पूरी तरह से अवरूद्ध हो गया.
समस्याओं के चलते पौधा तैयार करने का कार्य हो गया बंद
रोपणी के लिए बनाया गया तार का घेरा अब पूरा गायब हो गया है. मुनारा व सीपीटी (सीमेंट के खम्भों व गड्ढों) से रोपणी के सीमा की पहचान हो रही है. पूर्व में पौधों के रख-रखाव एवं उन्हें पानी मिलता रहे इसके दो बोरवेल खनन किए गए थे, जिसमें दोनो बोरवेल पानी के अभाव में बंद हो चुके हैं. वर्तमान में वहां पानी के लिए एक मात्र साधन नल कनेक्शन ही रह गया है. यह क्षेत्र ऊपर होने के कारण नल से भी पानी की पतली धार ही मिल पाती है. यही कारण है कि पौधे तैयार करने का कार्य पूरी तरह से बंद हो गया है.
वहां स्थित कर्मचारियों ने बताया कि विगत 4 वर्षों से पौधारोपण के लिए न तो वन विभाग से जगह मिल रही है और न ही राजस्व विभाग से. इसके कारण इनके पास भी कोई कार्य नहीं है. समय-समय पर जब कहीं पौधारोपण की आवश्यकता होती है तो वे बाहर से पौधों को मंगवाकर रोपित करते हैं.