अज्ञात बीमारी ने 9 वर्षीय बालक को बना दिया अपंग

अज्ञात बीमारी ने 9 वर्षीय बालक को बना दिया अपंग
आर्थिक सहायता के अभाव में जिंदगी और मौत से कर रहा है संघर्ष


जनाब खान सरायपाली.
विकासखण्ड अंतर्गत ग्राम सलडीह में एक 9 वर्षीय बालक के कुछ वर्ष पूर्व अचानक विकलांग हो जाने पर उनके परिवार पर कहर ही टूट पड़ा है. विगत 5 वर्षों से वह बालक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा है. बालक के परिजन आर्थिक रूप से सक्षम भी नहीं हैं कि उसका इलाज अच्छी तरह से करवा सकें. वे बालक के इलाज के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों सहित मुख्यमंत्री से भी गुहार लगा चुके हैं, लेकिन उन्हें कहीं से भी सहायता नहीं मिल पा रही है. बच्चा अपना किसी भी प्रकार का नित्य कर्म नहीं कर पाता. सभी कार्यों के लिए वह परिवार पर ही आश्रित रहता है. ऐसी स्थिति में परिजन अपने बच्चे को उसी हाल में देखकर घुट-घुट कर जीने के लिए मजबूर हैं.
    नवभारत से चर्चा के दौरान ग्राम सलडीह के महादेव मेहेर ने बताया कि उनका पुत्र दिनेश मेहेर की आयु 9 वर्ष है. सन् 2012 में एक दिन वह खाट पर सोया हुआ था, तभी उसे अचानक से एक झटके का आभास हुआ और वह अजीब तरह से चिल्लाया. परिजन उसे इलाज के लिए स्थानीय 100 बिस्तर अस्पताल,  ओडिशा के बरगढ़, बुरला सहित रायपुर भी ले कर गए. इस प्रकार अलग-अलग अस्पतालों में उसका कई दिन तक ईलाज चलता रहा. लेकिन कोई विशेष लाभ नहीं मिला. लगभग एक वर्ष बाद उसे लेकर परिजन दिल्ली के एम्स अस्पताल भी गए जहां कई दिनों तक ईलाज चला. इस दौरान उन्हें बताया कि बालक के मस्तिष्क की एक नस दब गई है जिसका आॅपरेशन करना पडेÞगा. जिसमें लाखों रूपए खर्च होने की संभावना जताई गई. महादेव ने बताया कि पूर्व के ईलाज में ही उनका लगभग ढाई एकड़ जमीन बिक चुका है, परंतु अब तक कुछ लाभ नहीं मिला है. अब उनके पास गुजारा चलाने के लिए मात्र डेढ़ एकड़ जमीन ही बची है. यदि उसे भी बेच दें तो रोजी रोटी के लाले पड़ जाएंगे.
मुख्यमंत्री तक से लगा चुके हैं गुहार
उन्होने बच्चे के ईलाज के लिए क्षेत्रीय विधायक रामलाल चौहान, संसदीय सचिव श्रीमती रूपकुमारी चौधरी एवं जनदर्शन रायपुर में भी आवेदन कर मुख्यमंत्री से आर्थिक सहायता की मांग की थी. जहां मुख्यमंत्री जनदर्शन में दिए गए आवेदन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री से एक पत्र की प्रतिलिपि प्राप्त हुई जिसमें ईलाज के लिए आर्थिक सहायता प्रदाय करने हेतु समाज कल्याण विभाग को निर्देशित किया गया था. इसके पश्चात समाज कल्याण विभाग की ओर से भी महादेव को एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें आर्थिक सहायता प्रदान करने की किसी प्रकार की योजना संचालित नहीं होने की बात कही गई. इस तरह उन्हें कहीं से भी सहयोग नहीं मिल पाया.
90 प्रतिशत विकलांगता के बावजूद नहीं मिल रहा किसी योजना का लाभ
दिनेश को जिला अस्पताल महासमुंद से विकलांगता का प्रमाण पत्र मिला हुआ है, जिसमें उसे 90 प्रतिशत विकलांग के साथ मानसिक रोग से पीड़ित बताया गया है. इसके बावजूद कहीं से किसी प्रकार की योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. पीड़ित बच्चे के पिता ने बताया कि बच्चा इतना विकालांग है कि वह स्वयं कुछ नहीं कर पाता है. न बोलना, न चलना, न खाना सभी कार्य घर के सदस्य ही करते हैं. ईलाज न हो पाने के कारण बच्चा हमेशा एक ही स्थिति में हमेशा बैठा रहता है और चिल्लाता रहता है.

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