कोटद्वारी के स्कूल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव

पेयजल के  लिए भी तरस रहे हैं बच्चे

सरायपाली. शासन के द्वारा शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं लाई जा रही हैं, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की ओर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है. कहीं शिक्षकों की कमी है, कहीं भवन की स्थिति खराब हो चुकी है तो कहीं अन्य सुविधाओं का अभाव है. कुछ इसी तरह की समस्याएं शासकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शाला कोटद्वारी में देखी गई, जहां विद्यार्थियों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा है. वहीं अहाता जर्जर होने के कारण स्कूल बंद होने के बाद वहां असामाजिक तत्वों का डेरा लग जाता है. 

विकासखण्ड मुख्यालय से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित वनांचल ग्राम कोटद्वारी के शासकीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शाला में इन दिनों कई प्रकार की समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. यहां कक्षा पहली से आठवीं तक के लिए केवल 3 शिक्षक ही पदस्थ हैं, जिनके लिए सभी कक्षाओं के बच्चों को संभालना टेढ़ी खीर साबित हो रही है. इसके अलावा यहां की सबसे बड़ी समस्या पेयजल की है. स्कूल में एक बोरवेल है, जिसमें पानी ही नहीं आता. स्कूल में भोजन बनाने एवं बच्चों के पीने के लिए बड़ी मुश्किल से किसी तरह पानी की व्यवस्था की जाती है. ग्रामीणों ने बताया कि पानी की समस्या तो पूरे गांव में है, निस्तारी के लिए भी तालाब में पानी नहीं है. हालांकि बांध से सिंचाई की तो पर्याप्त व्यवस्था हो जाती है, लेकिन पेयजल का संकट पूरे गांव में बना हुआ है. अधिकांश समय बच्चे स्कूल में ही गुजारते हैं, जिसके कारण उन्हें पीने के पानी के लिए बहुत अधिक परेशानी होती है. 

अहाता के अभाव में शाला परिसर बना असामाजिक तत्वों का डेरा

वहीं शाला में अहाता बना हुआ है लेकिन वह कई जगह से टूट गया है. जिसके कारण स्कूल बंद होने के बाद शाला परिसर में कई तरह के असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है. जो शराब सेवन करने के साथ-साथ परिसर में काफी गंदगी भी फैलाते हैं.  शिक्षकों के द्वारा इन समस्याओं के बारे में कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है लेकिन उनके द्वारा भी अभी तक किसी प्रकार का समाधान नहीं किया गया है. 

मीनू का नहीं हो रहा है पालन

शासन के द्वारा विद्यार्थियों को सही मात्रा में पोषण देने के लिए मध्यान्ह भोजन योजना लागू की गई है और प्रतिदिन के भोजन के लिए मीनू भी निर्धारित किया गया है. लेकिन कोटद्वारी के इस विद्यालय में मीनू का पालन नहीं किया जा रहा है और बच्चों को मनमाने तौर पर भोजन परोसा जा रहा है. इससे बच्चों को समुचित पोषण देने की शासन की योजना क्रियान्वित नहीं हो पा रही है. 

खुले परिसर में भोजन करने के लिए मजबूर हैं बच्चे 

पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थी यहां अध्ययन कर रहे हैं, जिनके मध्यान्ह भोजन करने के लिए भी यहां कोई सुविधा नहीं है. किसी प्रकार का शेड नहीं होने के कारण बच्चे मजबूरीवश खुले परिसर में ही इधर उधर कहीं भी बैठ जाते हैं और भोजन करते हैं. वर्तमान में बारिश का मौसम चल रहा है, ऐसी स्थिति में जब कभी बारिश हो जाती है तो बच्चों को अपनी थालियां उठाकर कक्षाआें की ओर दौड़ना पड़ता है. 

इस संबंध में विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी प्रकाश चंद्र मांझी से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि कोटद्वारी के स्कूल में पेयजल एवं अहाता की समस्या के संबंध में शिकायत प्राप्त हुई है. उच्चाधिकारियों को मांग पत्र भेजा गया है, स्वीकृति मिलते ही दोनो समस्याओं का निराकरण हो जाएगा. 


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