पंचायत द्वारा जारी किए गए लाखों रूपए का चेक हुआ बाउंस – चेक लेकर हितग्राही भटक रहे राशि के लिए । छत्तीसगढ़

जनाब खान नवभारत सरायपाली –

स्वच्छ भारत मिशन के तहत शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी शौचालय निर्माण एवं गांव को स्वच्छ रखने का कार्य जोरों से चल रहा है. जहां कुछ ग्रामीण अपने स्वयं के व्यय से शौचालय निर्माण पूर्ण किए हैं तो कुछ हितग्राही, ग्रामीण उधार एवं अपने सामान को गिरवी रखकर गांव को स्वच्छ बनाने में सहयोग प्रदान किए हैं. इस प्रकार गांव तो ओडीएफ घोषित हो लेकिन अभी तक कहीं-कहीं शौचालय हेतु सामान देने वाले विक्रेताओं तो कहीं-कहीं स्वयं का व्यय करने वाले हितग्राहियों को अब तक राशि प्राप्त नहीं हुई है और वे राशि के लिए भटक रहे हैं.  

    शासन के  फरमान अनुसार गांव में स्वयं खर्च करके बनाने वाले हितग्राही को शासन द्वारा 12 हजार रूपए का अनुदान राशि दिया जाना है और जो हितग्राही शौचालय बनाने में सक्षम नहीं है उन्हें पंचायत द्वारा सामान देकर शौचालय बनाकर गांव को ओडीएफ करने के लिए प्रेरित किया गया था. इसी तरह ब्लॉक के 107 पंचायतों में विगत वर्ष से ओडीएफ बनाने का कार्य जोर-शोर से किया गया. और कुछ पंचायतों में तो उधारी में सामान लेकर ही गांव को ओडीएफ घोषित करवा दिया गया.

    ऐसा ही मामला ग्राम पंचायत छिबर्रा में देखा गया जहां पंचायत द्वारा बनाए गए शौचालय में निर्माण कार्य में लगने वाले समान जैसे गिट्टी, मुरूम, र्इंट, बालू, सीमेंट, छड़, दरवाजा, शीट, एडबेस्टस, सेप्टिक रिंग इत्यादि उधारी में लिया गया था और जब उधारी में लिए गए सामान की राशि के लिए सरपंच, सचिव से मांग किए तो सरपंच सचिव द्वारा शौचालय निर्माण में लगे सभी सामानों के लागत का आधा-आधा राशि का चेक विक्रेताओं व हितग्राहियों को जारी कर दिया गया. लेकिन चेक जारी होने के 5 माह बाद भी खाते में अभी तक पैसा जमा नहीं हुआ है और कई लोगों का चेक बाउंस हो गया है. यह पहला मामला है कि राशि जारी होने के बाद भी हितग्राही चेक लेकर बैंक का चक्कर काट रहे हैं. 

    कुछ विके्रताओं व हितग्राहियों ने बताया कि सरपंच द्वारा विगत जुलाई माह में विके्रताओं व हितग्राहियों  में कुल 19 लोगों के नाम पर 3 लाख 47 हजार रूपए का चेक जारी किया गया था. चेक जारी होने के 2 दिन बाद से ही वे अपने-अपने चेक को बैंक में लगा दिए थे, लेकिन जब उनके खाते में राशि नहीं आया तो वे बैंक से जाकर संपर्क किए तो बैंक द्वारा भी चेक जारी करने वाले खाते में रकम नहीं होने की बात कही गई. हितग्राही खाते में पैसे आने का इंतजार करते रहे तब तक चेक की वैधता भी समाप्त हो गई. वैधता समाप्त होने के बाद बैंक द्वारा हितग्राही को सूचित किया गया एवं बाउंस चेक को ले जाने की बात कही गई. पंचायत द्वारा जब जारी किए गए चेक को लेकर वे जब सरपंच के पास पहुंचे तो सरपंच द्वारा उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया एवं उन्हें वापस भगा दिया गया. 
इस संबंध में सरपंच एवं सचिव से पूछे जाने पर उन्होने बताया कि खाता में राशि ही नहीं है तो कहां से ग्रामीणों को पैसा मिलेगा. जब उनसे पूछा गया कि खाते में राशि ही नहीं था तो चेक क्यों जारी किया गया, इस पर वे गोल-मोल जवाब देने लगे.

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